नर्म लफ़्ज़ों से भी लग जाती है चोटें अक्सर,
रिश्ते निभाना बड़ा नाज़ुक सा हुनर होता है…….
मुझे जिंदगी का इतना तजुर्बा तो नहीं,
पर सुना है सादगी मे लोग जीने नहीं देते।
इक उम्र तक मैं जिसकी जरुरत बना रहा
फिर यूँ हुआ कि उस की जरुरत बदल गई।
तेरी यादों की कोई सरहद होती तो अच्छा था
खबर तो रहती….सफर तय कितना करना है
वो शायद मतलब से मिलते हैं,
मुझे तो मिलने से मतलब है.!