लो बसंत फिर आई, फूलों पर रंग लायी,
बजे जल तरंग मन पर उमंग छायी लो वसंत फिर आई।
सूरज हर शाम को ढल ही जाता है ,
पतझड बसंत में बदल ही जाता हे ,
मेरे मन मुसीबत में हिम्मत मत हारना
समय कैसा भी गुजर ही जाता है…
उड़े पतंग आस्मां में सबकी निराली
पीली, लाल, हरी, नीली और काली,
आओ मिलकर हम सब वसंत मनाएं,
द्वार पर अपने रंगीली रंगोली सजाएं।
सूरज हर शाम को ढल ही जाता है
पतझड बसंत में बदल ही जाता हे
समय कैसा भी गुजर ही जाता है
बसंत पंचमी की बधाई
वीणा लेकर हाथ में, सरस्वती हो आपके साथ में
मिले मां आर्शीवाद आपको हर दिन, हर वार
हो मुबारक बसंत पंचमी का त्यौहार
बंसत पंचमी की शुभकामनाएं।