शायरी सर्दी की ठिठुरती रात में फुटपाथ पर अरमान है
दिलबर मुझे छोड़के किसी और पे मेहरबान है.....
दर्द मिन्नत-कशे- ✒ दवा न हुआ, मै न अच्छा हुआ बुरा न हुआ, जमा करते हो क्यों रकीबो को, एक तमाशा हुआ गिला न हुआ.
दर्द मिन्नत-कशे- ✒ दवा न हुआ,
मै न अच्छा हुआ बुरा न हुआ,
जमा करते हो क्यों रकीबो को,
एक तमाशा हुआ गिला न हुआ.
तुमको देखूं तो मुझे प्यार बहोत आता है
ज़िंदगी इतनी हसीन पहले तो नही लगती थी
बहुत अच्छा चल रहा था यह रिश्ता हमारा,बिछड़े इस रफ़्तार से मानो, मैं आसमान और वो टूट ता तारा.
बहुत अच्छा चल रहा था यह रिश्ता हमारा,
बिछड़े इस रफ़्तार से मानो, मैं आसमान और वो टूट ता तारा.
हमें तुमसे मोहब्बत न होती,,
सिर्फ दो ही हालत में…
या “तुम” बने न होते,
या ये दिल बना न होता…