कितना दर्द हैं दिल में दिखाया नही जाता,
गंभीर हैं किस्सा सुनाया नही जाता,
विडियो कॉल मत कर पगली,
रजाई में से मुहँ निकाला नही जाता...
मुझे भी जरुरुत है तेरी बाहो की।दुनिया के वजूद और दुनिया के रास्ते बहुत कमजोर है.
उसने मोहब्बत, मोहब्बत से ज़्यादा की थी,
हमने मोहब्बत उस से भी ज़्यादा की थी,
वो किसे कहेंगे मोहब्बत की इन्तहा,
हमने शुरुआत ही इन्तहा से ज़्यादा की थी.
शायरी सर्दी की ठिठुरती रात में फुटपाथ पर अरमान है
दिलबर मुझे छोड़के किसी और पे मेहरबान है.....
जिसकी नीति अच्छी होगी,
उसकी हमेशा उन्नत होगी,
“मैं श्रेष्ट हूँ”… यह आत्मविश्वास है,
लेकिन
“सिर्फ मैं ही श्रेष्ट हूँ”…यह अहंकार है।