जुबां खुली पर कुछ कह न पाए , आँखों से चाहत जता रहे थे !
सुबह की चाहत लिए नज़र में , रात नज़र में बिता रहे थे !!
उसको चाहा पर इजहार करना नही आया,
कट गयी उम्र हमें प्यार करने नही आया,
उसने कुछ माँगा भी तो मागी रजाई,
और हमे इंकार करना नही आया....
अरमान ही बरसो तक जला करते है हमेशा ,
इंसान तो इक पल मे खाक हो जाता है !!
मेरे दर्द को भी आह का हक़ हैं,
जैसे तेरे हुस्न को निगाह का हक़ है
मुझे भी एक दिल दिया है भगवान ने
मुझ नादान को भी एक गुनाह का हक़ हैं
शिव की ज्योति से नूर मिलता है
सबके दिलो को सुरूर मिलता हैं
जो भी जाता है भोले के द्वार
कुछ न कुछ ज़रूर मिलता हैं