वो अपनी ज़िंदगी में हुआ मशरूफ इतना;
वो किस-किस को भूल गया उसे यह भी याद नहीं।
जब हम गलत होते हैं,
तो समझौता चाहते हैं
और दूसरे गलत होते हैं...तो
हम न्याय चाहते हैं।
भूल होना प्रकृति है,
मान लेना संस्कृति है,
और सुधार लेना प्रगति है।
सुप्रभात
चाहत बन गये हो तुम या आदत बन गयेहो तुम हर सांस में यू आते जाते हो जैसेमेरी इबादत बन गये हो तुम।
चाहत बन गये हो तुम या आदत बन गये
हो तुम हर सांस में यू आते जाते हो जैसे
मेरी इबादत बन गये हो तुम।
मेरा कारनामा-ए-जिंदगी, मेरी हसरतों के सिवा कुछ नहीं,
ये किया नहीं,वो हुआ नहीं,ये मिला नहीं,वो रहा नहीं....!!
भोले की भक्ति में मुझे डूब जाने दो
शिव के चरणों में शीश झुकाने दो
आई है शिवरात्रि मेरे भोले बाबा का दिन
आज के दिन मुझे भोले के गीत गाने दो