असल में वही
जीवन की चाल समझता है …
जो सफ़र में
धूल को गुलाल समझता है ..!
ना जाने क्या कमी है मुझमें, ना जाने क्या खूबी है उसमें, वो मुझे याद नहीं करती, मैं उसको भूल नहीं पाता ..
जो भी आता है एक नयी चोट दे के चला जाता है ए दोस्त,….
मै मज़बूत बहोत हु लेकिन कोई पत्थर तो नहीं,….
पास होने से डर नहीं लगता साहेब..डर तो टॉपर बनने से लगता है ।।-नकलची छात्र ( बिहार बोर्ड )
मैं तेरे हिज़ार की बरसात में कब तक भीगू!!ऐसे मौसम में तो दीवारे भी गिर जाती है..