रात गुमसुम हैं मगर चाँद खामोश नहीं,कैसे कह दूँ फिर आज मुझे होश नहीं,ऐसे डूबा तेरी आँखों के गहराई में आज,हाथ में जाम हैं,मगर पिने का होश नहीं.
तेरी साँसों में बिखर जाऊं तो अच्छा है,
बन के रूह तेरे जिस्म मे उतार जाऊं तो अच्छा है,
किसी रात तेरी गोद में सर रख कर सो जाऊं,
उस रात की कभी सुबह ना हो तो अच्छा है
हो चुकी रात अब सो भी जाइएजो हैं दिल के करीब उनके ख्यालों में खो जाइएकर रहा होगा कोई इंतज़ार आपकाख़्वाबों में ही सही उनसे मिल तो आइये.
इस कदर हम उनकी मुहब्बत में खो गए,कि एक नज़र देखा और बस उन्हीं के हम हो गए,आँख खुली तो अँधेरा था देखा एक सपना था,आँख बंद की और उन्हीं सपनो में फिर सो गए!