जज: तुमने इसके पैसे क्यूँ चुराए?
चोर: मैने पैसे नहीं चुराए
इसने खुद ही दिए थे
जज: इसने पैसे कब दिए?
चोर: जब मैने इसे बंदूक दिखाई!
फेर लेते हैं नज़र, दिल से भुला देते हैं,
क्या यूँ ही लोग वाफ़ाओं का सिला देते हैं,
वादा किया था फिर भी ना आए मज़ार पर,
हमने तो जान दी थी इसी ऐतबार पर!!
वादा करो पर निभाना सीखो
चाहत दिल में रखो पर जताना सीखो
यूं ही किसी को इंतजार ना करवाओ
अगर प्यार से sms करे तो जवाब देना सीखो
सुबह-सुबह सूरज का साथ हो,
गुनगुनाते परिंदों की आवाज़ हो,
हाथ में चाय का कप, और यादों में कोई ख़ास,
उस खूबसूरत सुबह की पहली याद आप हो।
मेरे दर्द को भी आह का हक़ हैं,
जैसे तेरे हुस्न को निगाह का हक़ है
मुझे भी एक दिल दिया है भगवान ने
मुझ नादान को भी एक गुनाह का हक़ हैं