जेब खाली हो फिर भी
मना करते नहीं देखा
मैंने पापा से अमीर
इंसान कभी नहीं देखा
मुझे नहीं पता ऊपर वाले ने
तकदीर में क्या लिखा है,
जब मुस्कुराते है मेरे पापा मुझे देख कर
समझ जाता हूँ कि मेरी तकदीर बुलंद है।
चाहत तुम्हारी - रविवार की तरहहकीकत जिंदगी - सोमवार की तरह...!!
अब तो मज़हब कोई ऐसा भी चलाया जाए,
जिसमें इंसान को इंसान बनाया जाए|
भय से तब तक ही डरना चाहिये जब तक भय (पास) न आया हो। आये हुए भय को देखकर बिना शंका के उस पर् प्रहार् करना चाहिये।