उसके नैना जैसे नील कमल..
उसका चेहरा जैसे सुबह की किरण..
उस पर ये बाल घनेरी सी..
कर देता है पागल तन मन..
लगता जैसे मैं पिछले जनम से ही उससे मुखातिब हूँ..
शायद लोग तभी कहते ‘आवारा आशिक़’ हूँ.
कमाल की निशानेबाज हो तुम
तिरछी नजर से भी सीधा दिल पे वार करती हो
दिल की धड़कन और मेरी सदा है तू,
मेरी पहली और आखिरी वफ़ा है तू,
चाहा है तुझे चाहत से भी बढ़ कर,
मेरी चाहत और चाहत की इंतिहा है तू।
Ek Tere Na Rehne Se Badal
Jaata Hai Sab Kuch……
Kal Dhoop Bhi Deewar Pe
Poori Nahi Utri…
जीत किसके लिए,हार किसके लिए,जिन्द गी भर यह तकरार किसके लिए,जो भी आया है वो जाऐगा एक दिन,फिर ये अहंकार किसके लिए।..