मान लिया है मैंने..
नहीं आता मुझे मुहब्बत जाताना..
नादाँ तो तुम भी नहीं..
समझ ना सको शायरियों
में जिक्र तुम्हारा...!!
मन करता है जो दर्द है दिल में
बयां कर दूँ हर दर्द तुझसे ,
अब ये दर्द छुपाए नहीं जाते
लेकिन नहीं कह सकता कुछ तुझसे
क्योंकि दिलो के दर्द दिखाए नहीं जाते ……
बुजदिल हैं वो लोग जो मुहब्बत नहीं करते
जिगर चाहिए खुद को बर्बाद करने के लिए
हम हवा नहीं जो खो कही जायेंगे,
वक़्त नहीं जो गुज़र जायेंगे,
हम मौसम नहीं जो बदल जायेंगे,
हम तो आंसू है जो ख़ुशी और
गम दोनों में साथ निभाएंगे.
शायर तो हम
“दिल” से है….
कमबख्त “दिमाग” ने
व्यापारी बना दिया.