मुझे सहल हो गई मंजिलें वो,
हवा के रुख भी बदल गये,
तेरा हाथ, हाथ में आ गया,
कि चिराग राह में जल गये।
मैं कुछ लम्हा और तेरे साथ चाहता था;
आँखों में जो जम गयी वो बरसात चाहता था;
सुना हैं मुझे बहुत चाहती है वो मगर;
मैं उसकी जुबां से एक बार इज़हार चाहता था।
लाल गुलाबी रंग है झूम रहा संसार
सूरज की किरण खुशियों की बहार
चाँद की चांदनी अपनों का प्यार
शुभ हो आपको होली का त्यौहार
अब तो शायद ही मुझसे मुहब्बत करेगा कोई
तेरी तस्वीर जो मेरी आखों में साफ़ नजर आती है
डॉक्टर-कल रात को क्या खाया था..??लड़का-बर्गर, पिज़्ज़ा और कोक..डॉक्टर-देखो ये फेसबुक नही है सच बताओ...लड़का- जी लौकी....