मुझे सहल हो गई मंजिलें वो,
हवा के रुख भी बदल गये,
तेरा हाथ, हाथ में आ गया,
कि चिराग राह में जल गये।
हवा के साथ उड़ गया घर इस परिंदे का,
कैसे बना था घोसला वो तूफान क्या जाने !
मेरे बारे में अपनी सोच को थोड़ा बदलकर देख,
मुझसे भी बुरे हैं लोग तू घर से निकलकर देख…!
हम तो अकेले ही चले थे मंजिले सफर
लड़कियां मिलती रही शादियां होती गई।
..
कबीर बेदी
सास :- कितनी बार कहा की बहार
जाओ तो बिंदी लगा कर जाया करो..
आधुनिक बहु :- पर जीन्स पर बिंदी
कौन लगता है..?
सास :- तो मैंने कब कहा जीन्स पर लगा?
माथे पर लगा चुड़ैल, माथे पर..!
😂😂😂😂😂