एक रोस उनके लिएजो मिलते नही रोज़-रोज़,मगर याद आते है हर रोज़ |
मुझसे मेरी वफ़ा का सबूत मांग रहा है !
खुद बेवफ़ा हो के मुझसे वफ़ा मांग रहा है !!
वह अपने करम उँगलियों पर गिनते हैं,
पर ज़ुल्म का क्या जिनके कुछ हिसाब नहीं
हम दूर तक यूँ ही नहीं पहुंचे ग़ालिब ,
कुछ लोग कन्धा देने आ गए थे...
दूसरों की मानोगे तो मुझे
बुरा ही पाओगे, लेकिन
खुद मिलोगे तो वादा रहा,
मुस्कुरा कर जाओगे...!!