ना पैसा लगेगा, ना खर्चा लगेगा ।
स्माइल कीजिए, अच्छा लगेगा ।
छोटी सी Life है,
हँस के जियो।
भुला के गम सारे,
दिल से जियो।
अपने लिए न सही,
अपनों के लिए जियो।
कोन सा जियो का बिल भरना है दिल लगा के जियो
एहसान करो तो दुआओ में मेरी मौत मांगना
अब जी भर गया है जिंदगी से !
एक छोटे से सवाल पर
इतनी ख़ामोशी क्यों ….?
बस इतना ही तो पूछा था-
“कभी वफ़ा की किसी से…
हम तो अकेले ही चले थे मंजिले सफर
लड़कियां मिलती रही शादियां होती गई।
..
कबीर बेदी
जब हम गलत होते हैं,
तो समझौता चाहते हैं
और दूसरे गलत होते हैं...तो
हम न्याय चाहते हैं।
भूल होना प्रकृति है,
मान लेना संस्कृति है,
और सुधार लेना प्रगति है।
सुप्रभात
बहोत अंदर तक जला देती है,वो शिकायतें जो बयाँ नही होती..