परख से परे है
ये शख्सियत मेरी..
मैं उन्ही के लिए हूँ
जो समझे कदर मेरी..
यकीन और दुआ नज़र नहीं आते मगर,
नामुमकिन को मुमकिन बना देते हैं।
अगर आप नेक इंसान हो और लोग आपको बुरा कहे तो चलेगा,
क्यूँकि यह इससे कही अच्छा है कि तुम बुरे हो और लोग तुम्हें अच्छा कहे.
परिश्रम की मिशाल हैं, जिस पर कर्जो के निशान हैं,
घर चलाने में खुद को मिटा दिया, और कोई नही वह किसान हैं
त्याग दी सब ख्वाहिशें
कुछ अलग करने के लिए
“राम” ने खोया बहुत कुछ
“श्री राम” बनने के लिए