लिखना था कि खुश है तेरे बगैर भी यहाँ
हम,
मगर कम्बख्त आंसू है कि कलम से पहले
ही चल दिए...
कागज़ पे लिखी गज़ल, बकरी चबा गयी !
चर्चा पुरे शहर में हुई, की बकरी शेर खा गयी.
बे-फिजूली की जिंदगी का सिल-सिला ख़त्म,जिस तरह की दुनिया उस तरह के हम।
वो इस तरह मुस्कुरा रहे थे , जैसे कोई गम छुपा रहे थे !!
बारिश में भीग के आये थे मिलने , शायद वो आंसु छुपा रहे थे !
Mai To Chirag Hu Tere Aashiyane Ka
Kabhi Na Kabhi To Bujh Jaunga
Aaj Shikayat Hai Tujhe Mere Ujaale Se
Kal Andhere Mein Bahot Yaad Aaunga…