बड़े खुशकिस्मत होते वे लोग जिन्हे
"समय" और "समझ" दोनों एक साथ मिलती है
क्यूंकि अक्सर "समय" पर "समझ" नहीं आती
और जब "समझ" आती है तो "समय" हाथ से
निकल जाता है
वर्षों से दहलीज़ पर कड़ी वो मुस्कान है,
जो हमारे कानो में धीरे से कहती है,
“सब अच्छा होगा”
शिकवा भी होगा हमसे शिकायत भी होगी,
पर दोस्त से गिला किया नहीं करते।
हम अच्छे नहीं बुरे ही सही,
तुम्हें वैलेंटाइन मुबारक हो,
लेकिन हम जैसा दोस्त मिला नहीं करते।।
त्याग दी सब ख्वाहिशें
कुछ अलग करने के लिए
“राम” ने खोया बहुत कुछ
“श्री राम” बनने के लिए
बलबुध्धि विद्या देहू मोहि
सुनहु सरस्वती मातु
राम सागर अधम को
आश्रय तूही देदातु!!