बहोत अंदर तक जला देती है,वो शिकायतें जो बयाँ नही होती..
Diye Hain Zindagi Ne Zaḳhm Aise;Ki Jin Ka Waqt Bhi Marham Nahin Hai!
चाँद तारो से रात जगमगाने लगी,
फूलों की खुश्बू से दुनिया महकने लगी,
सो जाइये रात हो गयी है काफ़ी,
निंदिया रानी भी आपको देखने है आने लगी
चाहत तुम्हारी - रविवार की तरहहकीकत जिंदगी - सोमवार की तरह...!!