बिन बात के ही रूठने की आदत है,
किसी अपने का साथ पाने की चाहत है,आप खुश रहें, मेरा क्या है..मैं तो आइना हूँ, मुझे तो टूटने की आदत है।
ये फूल ये खुशबू ये बहार !
तुमको मिले ये सब उपहार !!
आसमा के चाँद और सितारे !
इन सब से तुम करो सृंगार !!
तुम खुश रहों आवाद रहों……
खुशियों का हो ऐसी फुहार !
हमारी ऐसी दुआ हैं हजार !!
दामन तुम्हारा छोटा पर जाए !
जीवन में मिले तुम्हे इतना प्यार !
Humne to khud se inteqam lia ,
Tumne kya soch kar humse mohabbat ki?
वह अपने करम उँगलियों पर गिनते हैं,
पर ज़ुल्म का क्या जिनके कुछ हिसाब नहीं
हम दूर तक यूँ ही नहीं पहुंचे ग़ालिब ,
कुछ लोग कन्धा देने आ गए थे...