मेरी सादगी ही गुमनामी में रखती है मुझे,
जरा सा बिगड़ जाऊं तो मशहूर हो जाऊं।
जीत किसके लिए,हार किसके लिए,जिन्द गी भर यह तकरार किसके लिए,जो भी आया है वो जाऐगा एक दिन,फिर ये अहंकार किसके लिए।..
अगर तुम अपने पापा की “परी”हो, तो हम भी अपने बाप के “नवाब” है !
नहीं चाहिए वो सब जो मेरी किस्मत में नहीं,
भीख मांग कर जीना मेरी फितरत में नहीं ।
ऐसा लगता है, हर इम्तिहाँ के लिए,
किसी ने जिन्दगी को हमारा पता दे दिया है