कदम डग मगा गये युही रास्ते से
वरना सम्भलना हम भी जानते थे,
ठोकर लगी तोभी उस पत्थर से
जिसे हम अपना खुदा मानते थे।।
बेबस निगाहों में है तबाही का मंज़र,और टपकते अश्क की हर बूंदवफ़ा का इज़हार करती है........डूबा है दिल में बेवफाई का खंजर,लम्हा-ए-बेकसी में तसावुर की दुनियामौत का दीदार करती है..........ऐ हवा उनको कर दे खबर मेरी मौत की... और कहेना,के कफ़न की ख्वाहिश में मेरी लाशउनके आँचल का इंतज़ार करती है..........
Acha hua maloom ho gaya,
Apno ki mohabbat ab mohabbat nahi rahi,
Warna hum toh apna ghar bhi chhod rahe they,
Unke dil main rehne ke liye
मचल के जब भी आँखों से छलक जाते हैं दो आँसू सुना है आबशारों को बड़ी तकलीफ़ होती है
खुदारा अब तो बुझ जाने दो इस जलती हुई लौ को चरागों से मज़ारों को बड़ी तकलीफ़ होती है कहू क्या वो बड़ी मासूमियत से पूछ बैठे है क्या सचमुच दिल के मारों को बड़ी तकलीफ़ होती है
तुम्हारा क्या तुम्हें तो राह दे देते हैं काँटे भी मगर हम खांकसारों को बड़ी तकलीफ़ होती है