लिखना था की खुश हूँ तेरेबिना पर आंसू ही गिर पड़े आँखों से लिखने से पहले।
कितने मूर्ख हैं
हम भगवान के बनाए फलों को भगवान को ही अर्पण करके धन दौलत माँगने लगते हैं
" रिस्ता " बारिश जैसा नही होना चाहिए ,
जो बरसकर खत्म हो जाए।
बल्कि
"रिस्ता "हवा की तरह होना चाहिए,
जो खामोश हो मगर सदैव आसपास हो।।🙏🙏
हवाओं के साथ अरमान भेजा है
नेटवर्क के जरिए पैगाम भेजा है
फुर्सत मिले तो काबुल कर लेना
हमने आपको सबसे पहले
🌺 नवरात्रि🌺
🐚🐚का पैगाम भेजा है 🐚🐚