बुराई को देखना और सुनना ही
बुराई की शुरुआत है
अब तो मज़हब कोई ऐसा भी चलाया जाए,
जिसमें इंसान को इंसान बनाया जाए|
हमारे माँ – बाप हमको बचपन में शहजादों की तरह पालते हैं..लिहाज़ा…
हमारा ये फ़र्ज़ बनता है,,उनके बुढ़ापे में उनको बादशाहों की तरह रखें!
जब कोई पटाखा थोडा सा जलकर फुस्स हो जाता है तो उसे पैर से कुचल कर कुछ लोग ऐसे फील लेते है जैसे टाइम बम defuse करके दुनिया को बचा लिया हो....
जिंदगी एक सजासी हो गई है,
गम के सागर मे कुछ इस कदर खो गयी है,
तुम आजाओ वापिस ये गुजारिश है मेरी,
शायद मुझे तुम्हारी आदत सी हो गई है ।