नाज़ुकी उसके लब की क्या कहिये,
पंखुड़ी इक गुलाब की सी है
उनकी मुस्कान तो एक अदा है,
जो उसे प्यार समझे वो सबसे बड़ा गधा है।
शाम से आँख में नमी सी है
आज फिर आप की कमी सी है
हुकुमत वो ही करता है जिसका दिलो पर राज हो!!
वरना यूँ तो गली के मुर्गो के सर पे भी ताज होता है!!
कौन याद रखता हैं गुजरे हुए वक़्त के साथी कोलोग तो दो दिन में नाम तक भुला देते हैं |