शाम से आँख में नमी सी है
आज फिर आप की कमी सी है
भुलाया उनको जाता है जो दिमाग में बसते है,
दिल में बसने वालो को भूलना नामुमकिन है!!
नाज़ुकी उसके लब की क्या कहिये,
पंखुड़ी इक गुलाब की सी है
न जाने किस तरह का इश्क कर रहे हैं हम,
जिसके हो नहीं सकते उसी के हो रहे हैं हम।
आँखों में रहा दिल में उतर कर नहीं देखा
कश्ती के मुसाफ़िर ने समुंदर नहीं देखा