निकलो गलियों में बना कर टोली
भिगा दो आज हर एक की झोली
कोई मुस्कुरा दे तो उसे गले लगा लो
वरना निकल लो, लगा के रंग कह के हैप्पी होली
तेरी यादों की कोई सरहद होती तो अच्छा था
खबर तो रहती….सफर तय कितना करना है
Ab Kon Se Mausam Se Koi Aas LagayeBarsaat Mein Bhi Yaad Na Jab Un Ko Hum Aye..
समझदार बनने की कोशिश में शरारत
भी खो बैठे
अब इस समझदारी में सबको साजिश नजर
आती है…
मैं तेरे हिज़ार की बरसात में कब तक भीगू!!ऐसे मौसम में तो दीवारे भी गिर जाती है..