वफ़ा निभा के वो हमे कुछ दे ना सके,
पर बहुत कुछ दे गये जब वो बेवफा हुए
तेरे इश्क़ ने दिया सुकून इतना,
कि तेरे बाद कोई अच्छा न लगे,
तुझे करनी है बेवफाई तो इस अदा से कर,
कि तेरे बाद कोई बेवफ़ा न लगे।
Tum Laut k anay ka takalluf mat
Karna,
Hum Ek mohabbat ko Do baar Nahi kartay…
ऐ बेदर्द… सब आ जातें हैं यूँ ही मेरी ‘ख़ैरियत’ पूछने…अगर तुम भी पूछ लो तो यह ‘नौबत’ ही न आए.
Magar
rani sirf badsah ki hi hoti haii..