लफ्जों के बोझ से
थक जाती है जुबाँ
कभी कभी
पता खामोशी
"मज़बूरी" है या
"समझदारी"
घमंड ही नहीं गुरुर है अपने किसान होने का।
बढ़ रही हैं कीमते अनाज की,
पर हो न सकी विदा बेटी किसान की
अगर आप नेक इंसान हो और लोग आपको बुरा कहे तो चलेगा,
क्यूँकि यह इससे कही अच्छा है कि तुम बुरे हो और लोग तुम्हें अच्छा कहे.
सारे सबक किताबों में नहीं मिलते यारो
कुछ सबक जिंदगी भी सिखाती है
वक़्त को भी हुआ है ज़रूर किसी से इश्क़,जो वो बेचैन है इतना कि ठहरता ही नहीं।