Ajib tarah se socha tha zindgi k liye..
jina marna tha sirf usi k liye.
wo mujhko tanha chhod gye to
yaqeen aaya ki koi bhi nhi marta kisi k liye.
जुबां खुली पर कुछ कह न पाए , आँखों से चाहत जता रहे थे !
सुबह की चाहत लिए नज़र में , रात नज़र में बिता रहे थे !!
Vo samjhta hai ki har shakhs badal jata hai…..
Ussey lagta hai zamana us ke jaisa hai….
मेरी खमोशियो के राज़ ख़ुद मुझे ही नहीं मालूम…
जाने क्यू लोग मुझे मगरूर समझते है…
चंदन की लकड़ी फूलों का हार,अगस्त का महीना सावन की फुहार,भैया की कलाई बहन का प्यार,मुबारक हो आपको रक्षा-बंधनका त्यौहार।