अक्स-ए-ख़ुशबू हूँ बिखरने से न रोके कोई,
और बिखर जाऊँ तो मुझको न समेटे कोई।
“तुम आए ज़िंदगी मे कहानी बन कर,
तुम आए ज़िंदगी मे रात की चाँदनी बन कर,
बसा लेते है जिन्हे हम आँखो मे,
वो अक्सर निकल जाते है आँखो से पानी बन कर”
हवा के साथ उड़ गया घर इस परिंदे का,
कैसे बना था घोसला वो तूफान क्या जाने !
दोस्त बनकर भी वो नहीं साथ निभानेवाला,
वही अंदाज़ है उस ज़ालिम का ज़माने वाला।
Khushi Ke Aasu Rukne Na Dena
Gum Ke Aasu Bahne Na DenaYeh Zindagi Na Jane Kab Ruk JayegiMagar Ye Pyari Si Relationsip Kabhi Tutne Na Dena.
"Happy New Year ”