अब जानेमन तू तो नहीं,
शिकवा-ए-गम किस से कहें या चुप हें या रो पड़ें, किस्सा-ए-गम किससे कहें।
आज किसी की दुआ की कमी है,तभी तो हमारी आँखों में नमी है,कोई तो है जो भूल गया हमें,पर हमारे दिल में उसकी जगह वही है..
मन ही मन करती haiबातें,
Dil ki हर एक बात कह जाती हूँ,
एक बार ले लो बाहों मै अब तो सजना,यहीं हर बात कहते कहते रुक जाती हूँ |
कौन याद रखता हैं गुजरे हुए वक़्त के साथी कोलोग तो दो दिन में नाम तक भुला देते हैं |
बात दिन की नहीं, अब रात से डर लगता है
घर है कच्चा मेरा बरसात से डर लगता है
प्यार को छोड़ कर तुम और कोई बात करो
अब मुझे प्यार की हर बात से डर लगता है