बेवफाई उसकी दिल से मिटा के आया हूँ,
ख़त भी उसके पानी में बहा के आया हूँ,
कोई पढ़ न ले उस बेवफा की यादों को,
इसलिए पानी में भी आग लगा कर आया हूँ
खन खना खन है ख्यालों मेंजरुर आज उसने कंगन पहने होंगे
दिल की एक ही ख़्वाहिश हैं..
धड़कनों की एक ही इच्छा हैं..
के तुम मुझे अपनी बाहों में पनाह दे दो,
और में खो जाओ...
शायर तो हम
“दिल” से है….
कमबख्त “दिमाग” ने
व्यापारी बना दिया.