तू जिसे इतनी हसीं
चीज़ समझता है वो फूल
सूख जाए तो
निगाहों को बुरा लगता है
उसने पूछा सबसे ज्यादा क्या पसंद है तुम्हे
मैं बहुत देर तक देखता रहा उसे
बस ये सोचकर कि
खुद जवाब होकर उसने सवाल क्यूँ किया…!!
लगता है, मेरा खुदा मेहरबान है मुझ पर,
मेरी दुनीयाँ में आपकी मौजूदगी, यूँ ही तो नहीं.!
रास्ते खुद ही तबाही के निकाले हम ने,कर दिया दिल किसी पत्थर के हवाले हमने,हाँ मालूम है क्या चीज़ हैं मोहब्बत यारो,अपना ही घर जला कर देखें हैं उजाले हमने।
तेरे पास में बैठना भी इबादत
तुझे दूर से देखना भी इबादत …….
न माला, न मंतर, न पूजा, न सजदा
तुझे हर घड़ी सोचना भी इबादत….