छुपी होती है लफ्जों में गेहरी राज की बातें..
लोग शायरी या मजाक समझ के बस मुस्कुरा देते है..
बहुत अच्छा चल रहा था यह रिश्ता हमारा,बिछड़े इस रफ़्तार से मानो, मैं आसमान और वो टूट ता तारा.
बहुत अच्छा चल रहा था यह रिश्ता हमारा,
बिछड़े इस रफ़्तार से मानो, मैं आसमान और वो टूट ता तारा.
निगाहें नाज करती है फलक के आशियाने से,खुदा भी रूठ जाता है किसी का दिल दुखाने से।
तारे और इंसान में कोई फर्क नहीं होता,दोनो ही किसी की ख़ुशी के लिऐ खुद को तोड़ लेते हैं।
न कुर्बतों मेंसुकून हैन फासलों में करार हैना वस्ल में मज़ा हैन हिज़्र मेंवो सज़ा हैमैं कहूँ जान की आफततुम कहते हो कि प्यार है