इश्क करो वफ़ा करो
और फिर भी वो भाव खाये
तो उसे अपनी जिंदगी से
दफा करो!
एक छुपी हुई पहचान रखता हूँ,
बाहर शांत हूँ, अंदर तूफान रखता हूँ,
रख के तराजू में अपने दोस्त की खुशियाँ,
दूसरे पलड़े में मैं अपनी जान रखता हूँ।
Teri Kami Khalti Rahti Hai Sada,
Ek Be Naam Tasweer Ki Tarah.
तुम शराफ़त को बाज़ार में क्यूँ ले आए हो…
दोस्त
ये सिक्का तो बरसों से नहीं चलता…!!
ये ज़िन्दगी तेरी यादो से,
अब नासूर सी चुभती है,
किसे पता था मेरी दोस्त,
ये यादे ताज महल से बड़ी लगती है!