ये दबदबा,ये हुकुमत,ये नशा, ये दौलतें………
सब किरायदार है, घर बदलते रहते हैं……
कदम डग मगा गये युही रास्ते से
वरना सम्भलना हम भी जानते थे,
ठोकर लगी तोभी उस पत्थर से
जिसे हम अपना खुदा मानते थे।।
परिश्रम वह चाबी है
जो सौभाग्य के द्वार खोलती है
Yaad rahega ye dour- E hayaat humko
Ki tarse the zindgi me zindgi ke liye