Kash tum puchho ki
tum mere kya lagte ho,
mein tumhe gale lagau
aur kahu, "Sab Kuchh..."
कुछ यूँ उतर गए हो मेरी रग-रग में तुम,कि खुद से पहले एहसास तुम्हारा होता है।
नहीं ‘मालूम ‘हसरत है या तू मेरी मोहब्बत है,बस इतना जानता हूं कि मुझको तेरी जरूरत है।
न जाने क्या है किसी की उदास आँखों मैंवो मुंह छुपा के भी जाए तो बेवफ़ा न लगे
न जाने क्या है किसी की उदास आँखों मैं
वो मुंह छुपा के भी जाए तो बेवफ़ा न लगे
बहुत दूर है तुम्हारे घर से हमारे घर का किनारा,पर हम हवा के हर झोंके से पूछ लेते हैं क्या हाल है तुम्हारा।