कोई अपना हमसे जब भी रूठ जाता है,
ऐसा लगता साथ रब छूट जाता है.
तुम्हें गुमां है कि मैं जानता नहीं कुछ भी,मुझे ख़बर है कि रस्ता बदल रहे हो तुम।
हर रात को तुम इतना
याद आते हो के हम भूल गए हैं,
के ये रातें ख्वाबों के लिए होती हैं,
या तुम्हारी यादों के लिए
वो कहता है… कि मजबूरियां हैं बहुत…
साफ लफ़्ज़ों में खुद को बेवफा नहीं कहता।
Dafan Karna Mujhe Apni Ankhon Me….
Ye Meri Aakhri Wasiyat Hai..!!