मेने देखा ही नहीं कोई मौसम,
मेने चाहा है तुम्हे चाय की तरह |
एडमिन ने ढाबा खोला..ग्राहक – मेरी चाय मै मक्खी डूब कर मरी पड़ी है |एडमिन –तो क्या करू?मै ढाबा चलाऊ या इन्हे तैरना सीखाऊँ |
आपने दिल का हाल बताना छोड़ दिया,हमने भी गहराई में जाना छोड़ दिया..!!अरे ये क्या ??होली से पहले ही आपने नहाना छोड़ दिया!!
इस गर्मी का आलम बस ...इतना समझ ले ग़ालिब....कपडे धोते ही सुख जाते है ।और पहनते ही गीले हो जाते है ।।
गाँधी जी ने शादी से पहले अपनी पत्नी कस्तूरबा जी को
छोटा सा लेटर लिखा और कस्तूरबा जी बेहोश हो गयीं।
प्रिय कस्तूरबा
I LOVE YO
तुम्हारा,
बापू.
😂😂😂😂