दास्तान मेरे लाड़-प्यार की बस,
एक हस्ती के गिर्द घूमती है,
प्यार जन्नत से इसलिए है मुझे,
क्योंकि ये भी मेरी माँ के क़दम चूमती है.
एक आस, एक एहसास, मेरी सोच और बस तुम,एक सवाल, एक मजाल, तुम्हारा ख़याल और बस तुम,एक बात, एक शाम, तुम्हारा साथ और बस तुम,एक दुआ, एक फ़रियाद, तुम्हारी याद और बस तुम,मेरा जूनून, मेरा सुकून बस तुम और बस तुम
बुरे वक़्त में भी एक अच्छाई होती है…
जैसे ही ये आता है.फ़ालतू के दोस्त विदा हो जाते हैं…!!!
Yaad rahega ye dour- E hayaat humko
Ki tarse the zindgi me zindgi ke liye
Itne Lamhe Guzare Hai Tere Saath Humne
Ke Aaj Ek Lamha Tanha Guzarna Mushkil Hain.