जैसे जैसे लोहड़ीकी आग तेजहो
वैसे वैसे हमारेदुखों का अंतहो
लोहड़ी का प्रकाशआपकी जिन्दगी कोप्रकाशमय कर दे
हैप्पी लोहड़ी
डर मुझे भी लगा फांसला देख कर,
पर मैं बढ़ता गया रास्ता देख कर.
खुद ब खुद मेरे नज़दीक आती गई,
मेरी मंज़िल मेरा हौंसला देख कर…..!!
“ज़िंदगी” की “तपिश” को
“सहन” कीजिए “जनाब”,
अक्सर वे “पौधे” “मुरझा” जाते हैं,
जिनकी “परवरिश” “छाया” में होती हैं…
“उनसे कहना की क़िस्मत पे ईतना नाज ना करे ,
हमने बारिश मैं भी जलते हुए मकान देखें हैं…… !!
अमर वही इंसान होते हैं
जो दुनियां को कुछ देकर जाते हैं