हे माँ तुमसे विश्वास ना उठने देना,
तेरी दुनिया में भय से जब सिमट जाऊं,
चारो ओर अँधेरा ही अँधेरा घना पाऊं,
बन के रोशनी तुम राह दिखा देना..!
कितनी जल्दी ये शाम आ गई;
गुड नाईट कहने की बात याद आ गई;
हम तो बैठे थे सितारों की महफ़िल में;
चाँद को देखा तो आपकी याद आ गई.
क्रोध हवा का वह झोंका है
जो बुद्धि के दीपक को बुझा देता है
रिश्ते चाहे कितने ही बुरे हो उन्हें
तोड़ना मत क्योंकि पानी चाहे
कतना भी गंदा हो अगर
प्यास नहीं बुझा सकता
पर आग तो बुझा सकता है
कुछ यूँ उतर गए हो मेरी रग-रग में तुम,कि खुद से पहले एहसास तुम्हारा होता है।
Khuda kare ke es baar holi kuch aisi aaye
Mera bichdda pyar mujhe phir se mil jaye
Meri zindagi toh rangeen sirf usi se hain
Kash bhar ke baaho me rang se rang jaye