“माँ” की “आराधना” का ये “पर्व” है,
_माँ की “9 रूपों की भक्ति” का ये पर्व है,
बिगड़े काम बनाने_का ये पर्व है,
“भक्ति” का “दिया_दिल_में_जलाने” का पर्व है…नवरात्रि…शुभ नवरात्रि..!
फेर लेते हैं नज़र, दिल से भुला देते हैं,
क्या यूँ ही लोग वाफ़ाओं का सिला देते हैं,
वादा किया था फिर भी ना आए मज़ार पर,
हमने तो जान दी थी इसी ऐतबार पर!!
Khud Me Hum Kuch Is Tarah Kho Jate Hai,
Sonchte Hai Aapko To Aapke Hi Ho Jaate Hai,
Nind Nahi Aati Raton Me Par,
Aapko Khwab Me Dekhne Ke Liye So Jate Hai
रास्ते खुद ही तबाही के निकाले हम ने,कर दिया दिल किसी पत्थर के हवाले हमने,हाँ मालूम है क्या चीज़ हैं मोहब्बत यारो,अपना ही घर जला कर देखें हैं उजाले हमने।
Main uske haathon ka khilona hi sahi;
kuch der ke liye hi sahi, usne mujhe chaha to hai..