हिन्दी पढ़ना और पढ़ाना हमारा कर्तव्य है। उसे हम सबको अपनाना है।
हमसफ़र खूबसूरत नहीं
बल्कि सच्चा होना चाहिए
एक आस, एक एहसास, मेरी सोच और बस तुम,एक सवाल, एक मजाल, तुम्हारा ख़याल और बस तुम,एक बात, एक शाम, तुम्हारा साथ और बस तुम,एक दुआ, एक फ़रियाद, तुम्हारी याद और बस तुम,मेरा जूनून, मेरा सुकून बस तुम और बस तुम
एक रोस उनके लिएजो मिलते नही रोज़-रोज़,मगर याद आते है हर रोज़ |
ईश्वर कहते हैं उदास न हो,
मैं तेरे साथ हूँ, सामने नहीं आस पास हूँ,
पलकों को बंद कर और दिल से यादकर,
में कोई और नहीं, तेरा विश्वास हूँ।