अजब चिराग हूँ दिन-रात जलता रहता हूँ,
थक गया हूँ मैं हवा से कहो बुझाए मुझे।
चाँद तारो से रात जगमगाने लगी,
फूलों की खुश्बू से दुनिया महकने लगी,
सो जाइये रात हो गयी है काफ़ी,
निंदिया रानी भी आपको देखने है आने लगी
बोलो है कोई वकील ऐसा इस जहान में
जो हारा हुआ इश्क जीता सके मुझको
विपरीत परस्थितियों में कुछ लोग टूट जाते हैं ,
तो कुछ लोग लोग रिकॉर्ड तोड़ते है
बड़ी गरज से चाहा है तुझे
बड़ी दुआओं से पाया है तुझे
तुझे भूलने की सोचूं भी तो कैसे
किस्मत की लकीरों से चुराया तुझे