ए पलक तु बन्द हो जा, ख़्वाबों में उसकी सूरत तो नजर आयेगी, इन्तजार तो सुबह दुबारा शुरू होगा, कम से कम रात तो खुशी से कट जायेगी। Good Night !!
“ज़िंदगी” की “तपिश” को
“सहन” कीजिए “जनाब”,
अक्सर वे “पौधे” “मुरझा” जाते हैं,
जिनकी “परवरिश” “छाया” में होती हैं…
अँधेरा चाहे कितना भी घना हो लेकिन
एक छोटा सा दीपक अँधेरे को चीरकर प्रकाश फैला देता है
वैसे ही जीवन में चाहे कितना भी अँधेरा हो जाये
विवेक रूपी प्रकाश अन्धकार को मिटा देता है
त्याग दी सब ख्वाहिशें
कुछ अलग करने के लिए
“राम” ने खोया बहुत कुछ
“श्री राम” बनने के लिए
बुराई को देखना और सुनना ही
बुराई की शुरुआत है