रिश्ते बनते रहे इतना ही बहुत है और सब हँसते रहे इतना ही बहुत है.
गुस्सा करना अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने जैसा ही है –
क्यूंकि आप जिसपे गुस्सा करते हैं उससे ज्यादा आपका खुद का नुकसान हो जाता है
न हो तो रोती हैं जिदे, ख्वाहिशों का ढेर होता हैं,
पिता हैं तो हमेशा बच्चो का दिल शेर होता हैं.
अमर वही इंसान होते हैं
जो दुनियां को कुछ देकर जाते हैं
“लोग क्या कहेंगे”- ये बात इंसान को आगे नहीं बढ़ने देती