एक याद से हैं आप ।
ये कला आपकी है ।
ख्यालों की ड्योढ़ी पर आ कर
चौखट पर हर्फ़ खिसका
अपनी जगह बना लेते हैं ।
कुछ लिहाज़
जो आप से जुड़े हैं ।
कुछ लिहाफ़
जो मैंने बुने हैं ।
मेरी कलम आपकी ही तलबगार है
ज़िंदगी 'गुलज़ार' है ।।
Ud ke jate huye panchi ne
bas itna hi dekha,
Der tak haath hilati rahi
woh shaakh fiza mein
Alvida kehne ko?
Ya paas bulane ke liye?
बेबस निगाहों में है तबाही का मंज़र,और टपकते अश्क की हर बूंदवफ़ा का इज़हार करती है........डूबा है दिल में बेवफाई का खंजर,लम्हा-ए-बेकसी में तसावुर की दुनियामौत का दीदार करती है..........ऐ हवा उनको कर दे खबर मेरी मौत की... और कहेना,के कफ़न की ख्वाहिश में मेरी लाशउनके आँचल का इंतज़ार करती है..........
ना दूर रहने से रिश्ते टूट जाते हैं
ना पास रहने से जुड़ जाते हैं
यह तो एहसास के पक्के धागे हैं
जो याद करने से और मजबूत हो जाते हैं
“तेरी यादों के जो आखिरी थे निशान,दिल तड़पता रहा, हम मिटाते रहे...ख़त लिखे थे जो तुमने कभी प्यार में,उसको पढते रहे और जलाते रहे....”