एक याद से हैं आप ।
ये कला आपकी है ।
ख्यालों की ड्योढ़ी पर आ कर
चौखट पर हर्फ़ खिसका
अपनी जगह बना लेते हैं ।
कुछ लिहाज़
जो आप से जुड़े हैं ।
कुछ लिहाफ़
जो मैंने बुने हैं ।
मेरी कलम आपकी ही तलबगार है
ज़िंदगी 'गुलज़ार' है ।।
कोई पुछ रहा हे मुजसे मेरी जीन्दगी की कीमंत....मुझे याद आ रहा है तेरा हल्के से मुस्कुराना......
देखो, आहिस्ता चलो, और भी आहिस्ता ज़रादेखना, सोच-सँभल कर ज़रा पाँव रखना,ज़ोर से बज न उठे पैरों की आवाज़ कहीं.काँच के ख़्वाब हैं बिखरे हुए तन्हाई में,ख़्वाब टूटे न कोई, जाग न जाये देखो,जाग जायेगा कोई ख़्वाब तो मर जाएगा
ना दूर रहने से रिश्ते टूट जाते हैं
ना पास रहने से जुड़ जाते हैं
यह तो एहसास के पक्के धागे हैं
जो याद करने से और मजबूत हो जाते हैं